INDIA'S CLIMATE
जलवायु का अध्ययन भौतिक भूगोल की शाखा - लाइमटोलॉजी में किया जाता है।
जलवायु - किसी स्थान की जलवायु वायुमंडलीय दशाओ ( तापमान ,आद्रता , पवन ,वायुदाब ,वर्षा का दीर्घकालीन औसत योग होता है। मौसम किसी स्थान का मौसम वायुमंडलीय दशाओ का अल्पकालीन औसत योग है। दिन में मौसम कई बार परिवर्तित हो सकता है।
भारत में जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक :
- समुद्र से दुरी
- उच्चावच
- भूमध्य रेखा से दुरी
- पवन
- वनस्पति
अंक्षाशीय आधार पर भारत में दो प्रकार की जलवायु पायी जाती है
(1) उष्ण कटिबंधीय
(२) शीतोष्ण कटिबंधीय
धरातल से 165 k . m . की ऊचाई पर जाने पर 1 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान कम हो जाता है इसे सामान्य सामान्यतः भारत में उष्ण कटिबंधीय मानसूनी प्रकार की जलवायु पायी जाती है।
भारत में मानसून दो प्रकार से आता है।
(१) दक्षिण - पश्चिमी मानसून
(२) उत्तर - पूर्वी मानसून
दक्षिण - पश्चिम मानसून : इस मानसून का आगमन ग्रीष्म ऋतु में होता है इसलिए इसे ग्रीष्म कालीन मानसून कहते है। दक्षिण - पश्चिम मानसून आगे बढ़कर दो शाखाओं में विभाजित हो जाता है।
(१) अरब सागर की शाखा : दक्षिण पश्चिम मानसून कीअरब सागर की शाखा के द्वारा भारत में वर्षा मालाबार तट (केरल राज्य ) पर होती है इसके बाद अरबसागर के मानसून द्वारा कर्नाटक ,महाराष्ट्र ,गुजरात,मध्यप्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,छोटानागपुर का पठार ,दक्षिण राजस्थान ,पश्चिम राजस्थान ,पंजाब ,हरियाणा ,जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों में वर्षा होती है। राजस्थान में अरब सागर की शाखा जून के तीसरे सप्ताह में दक्षिण राजस्थान में प्रवेश करती है |
(२) बंगाल की खाड़ी की शाखा : इस शाखा के द्वारा पूर्वोत्तर राज्य ,पस्च्मि बंगाल ,छोटानागपुर पठार,मध्यप्रदेश ,उत्तरप्रदेश, एवं पूर्वी राजस्थान में वर्षा होती है , उत्तर -पूर्वी मानसून /सर्दियों का मानसून /प्रत्यावर्ती मानसून /लौटता हुआ मानसून इस मानसून की उत्पत्ति जब सूर्ये की स्थिति दक्षिण गोलार्ध्द में होती है तब होती है।
विश्व में तीन प्रकार की वर्षा होती है :
(१) पर्वतीय वर्षा
(२) चक्रवातीय वर्षा
(३) संवहनीय वर्षा
भारत में पर्वतीय वर्षा सर्वाधिक होती है। पश्चिम विक्षोभ एवं भूमध्य सागरीय चक्रवातों के द्वारा शीत काल में होने वाली वर्षा मावट कहलाता है। भूमध्य सागरीय चक्रवातों द्वारा भारत में लगभग 5%वर्षा होती है। मानसून से पूर्व स्थानीय चक्रवातों के द्वारा लगभग 10%वर्षा होती है जिसे अलग अलग क्षेत्रो में अलग -अलग नामो से जाना जाता है जैसे -
दक्षिण भारत में इसे - मैंगोशावर (आम्रवर्षा ), विश्व में सर्वाधिक वर्षा मेघालय के मॉसिनराम में होती है। वर्षा होने का कारण गारो ,खासी ,जैयन्ती की पहाड़ियों की किपाकार आकृति का होना है। भारत में औसत वार्षिक वर्षा 115 से 120 सेंटीमीटर तक होती है। वर्षा मापी यन्त्र -- रेन गेज भारत के प्रमुख वृष्टि छाया प्रदेश - पश्चिमी राजस्थान ,विदर्भ ,पुणे ,रायलसीमा (आंध्रप्रदेश ),तेलंगानापवन विमुखी ढाल को वृष्टि छाया प्रदेश कहते है:
आइसोहाइट - समान वर्षा वाले क्षेत्रो को मिलाने वाली रेखाएँ।
आइसोहाईप - समान ऊचाई वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखाएँ।
आइसोबार - समान वायुदाब वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखाएँ।
आइसोथर्म्स - समान तापमान वाले स्थानों मिलाने वाली रेखाएँ।
आइसोहेलाईन - समान लवणता वाले क्षेत्रो को मिलाने वाली रेखाएँ।
- तापमान ह्रास दर कहते है.
- इस मानसून की उत्त्पति सूर्य के उत्तरी गोलार्द्ध में होने पर कर्क रेखा पर अधिक तापमान हो जाता है जिससे निम्न वायुदाब उत्पन्न हो जाता है अतः मानसूनी पवने दक्षिण गोलार्ध्द से उत्तरी गोलार्ध्द की और वायुदाब में भिन्नता के परिणामस्वरूप चलने लगती है जब भूमध्य रेखा पर आती है तो कोरिओलिसिस बल के परिणामस्वरूपअपनी दिशा दक्षिण -पूर्व से उत्तर -पूर्व की और कर लेती है इसलिए इसे दक्षिण -पश्चिम मानसून कहते है।
- राजस्थान में सबसे पहले अरबसागर की शाखा के द्वारा वर्षा होती है।
- भारत में सर्वाधिक वर्षा बंगाल की खाडी की शाखा के द्वारा होती है।
- ऐसी स्थिति में मानसूनी पवने भारत में उत्तर - पूर्व दिशा से दक्षिण पश्चिम दिशा की और बहने लगती है इस लिए इन्हे उत्तर -पूर्व मानसून कहते है|
- यह मानसून शीतकाल में आता है इसीलिए इसे शीत कालीन मानसून या प्रत्यावर्ती मानसून या लौटता हुआ मानसून कहते है।
- यह मानसूनी पवने शुष्क बहती है।
- लेकिन बंगाल की उत्तर कर यह मानसूनी पवने जलवाष्प की मात्रा ग्रहण कर लेती है और कोरोमंडल तट (तमिलनाडु ) में वर्षा करती है इस प्रकार उत्तर - पूर्वी मानसून के द्वारा लगभग 10%वर्षा होती है।
- यह मावट भारत के उत्तरी पश्चिम भागो में होती है सामान्यतः राजस्थान ,पंजाब ,हरियाणा ,आदि राज्यों में भूमध्य सागरीय चक्रवातों द्वारा वर्षा होती है इस वर्षा से रबी की फसलों को लाभ होता है।
- कर्नाटक - चेरी ब्लॉसम ( फूलो की बौछार ) कॉफी उत्त्पादन बढ़ाता है।
- छोटा नागपुर पठार - नार्वेस्टर
- पश्चिमी बंगाल - कालबैशाखी - जुट जेई की फसलों को फायदा।
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