VAIDIK SABHYATA ( वैदिक सभ्यता )
(1500 ई.पू.-600 ई.पू.)
पूर्व वैदिक काल (ऋग्वैदिक काल) - 1500ई.पू.-1000ई.पू.
उत्तर वैदिक काल - 1000ई.पू.-600ई.पू.
वैदिक साहित्य - 7 (सात)
- वेद
- आरण्यक
- वेदान्त
- वेदाङ्ग
- पुराण
- स्मृति साहित्य
- षट दर्शन
वेद - विद धातु , अर्थ - जानना / ज्ञान प्राप्त करना
उपनाम - श्रुति - सुना हुआ ज्ञान।
अपौरुषय - पुरुष द्वारा रचित ना है जो।
वेद : वेद चार प्रकार के है ,
- ऋग्वेद
- यजुर्वेद
- सामवेद
- अथर्वेद
ऋग्वेद , यजुर्वेद व् सामवेद तीनो की विषय वस्तु एक जैसी है इस कारण इन्हे वेदत्रहि कहा जाता है।
अथर्ववेद - विषय वस्तु - जादू -टोना , रोग , तंत्र - मंत्र।
उपवेद - चार (४)
- ऋग्वेद - आयुर्वेद ,जनक - धन्वंतरि (औषधि विज्ञान )
- यजुर्वेद - धनुर्वेद - युद्ध कला से सम्बंधित
- सामवेद - गन्धर्वेद - संगीत कला से सम्बंधित।
- अथर्वेद - शिल्पवेद - स्थापत्य कला से सम्बंधित
ऋग्वेद में 10 मंडल /अध्याय /पाठ है। जो निम्न प्रकार से है ,
(1) अज्ञात (2) गृहस्तमध (3) विश्वामित्र
(4) वामदेव (5) अत्रि (6) भारद्वाज
(7) वशिष्ठ (8) कण्व व् आंगिरस (9) सोम की समर्पित (10) अज्ञात
सामान्य Exam मे कम आने वाले जरुरी GK Question's :
- गायत्री मंत्र का उल्लेख तीसरे मंडल में है इसके रचियता विश्वामित्र है। यह मंत्र सूर्य के रूप सवित् को समर्पित है।
- ऋग्वेद के सातवे मंडल (वशिष्ठ) में दशराज्ञ युद्ध का वर्णन है। यह युद्ध आर्य राजा सुदास ,वंश - भरत , व् अनार्य, 10 राजाओ के संघ के मध्य हुआ।
- युद्ध का कारण -धार्मिक , पुरुषेणी /रावी नदी के तट पर युद्ध हुआ। विजय- राजा सुदास , वंश भरत होने के कारण भारत देश का नाम भारत पड़ा।
- ऋग्वेद के 10 वे मंडल में वेद मंत्रो की 90 वी पुरुष पंक्ति /सूक्त में वर्णो का उल्लेख किया गया है जिसकी विषय वस्तु सामाजिक वर्ग है।
- कहा जाता है की विराट पुरुष (ब्रह्मा जी ) के मुख से ब्राह्मण , भुजा से क्षेत्रीय , जंघा से वैश्य , व् पैर से शूद्र का जन्म हुआ।
- ब्राह्मण ,क्षेत्रिय, वैश्य तीनो वर्णो को संयुक्त रूप से द्विज कहते है।
- भारत का प्रथम ग्रन्थ /साहित्य - ऋग्वेद।
- भरत का एकमात्र ग्रंथ ( ऋग्वेद ) जिसे यूनेस्को द्वारा जारी विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया है।
- भारत की संगीत संबंधी प्रथम अथवा प्राचीनतम रचना - सामवेद।
आरण्यक : 7 (सात ) प्रकार के होते है,
- अरण्य - जंगल /वन /कानन।
- वेदान्त -- प्रमाणिक संख्या - 12
- कुल संख्या - 108
- वेदो के सबसे अंत में लिखे गए इसलिए इन्हे वेदांत/उपनिषद कहा जाता है।
- उपनिषद - धर्म पर महत्व ना देकर कर्म पर महत्व दिया। ऐसा यह एकमात्र वैदिक साहित्य है।
- उपनिषद - गुरु /ऋषि के समीप बैठकर ज्ञान प्राप्त करना।
- सत्यमेव जयते -- मुंडकोपनिषद से लिया गया है।
- सबसे बड़ा उपनिषद वृहदारण्यक है जिसकी विषय वस्तु गार्गी व् याज्ञवल्क्य के बीच संवाद है , जो विदेह जनपद में हुआ उस समय राजा जनक थे।
वेदांग :
वेद + अंग = वेदांग। वेदो के अंग = 6 है।
(1) शिक्षा (2) कल्प (3) निरुक्त
(4) व्याकरण (5) छंद (6) ज्योतिष
कल्प में तीन ग्रन्थ है :
- गृहसूत्र - जिसमे 16 संस्कारो का वर्णन है।
- धर्मसूत्र - जो राजनीति से संबंधित है।
- श्रोतसूत्र/शुल्व सूत्र - भारतीय ज्योमिति का प्राचीनतम /प्रथम ग्रन्थ है।
निरुक्त - भाषा शास्त्र का प्रथम ग्रन्थ।
व्याकरण - अष्ठाध्यायी = पाणिनी
महाभाष्य = पतंजलि।
पुराण :
पुराण का अर्थ - प्राचीन है जो सहित्य।
प्राचीनतम पुराण - मत्स्य पुराण - विषय वस्तु - सातवाहन राजा।
विष्णु पुराण - मौर्य साम्राज्य से सम्बंधित
वायु पुराण - गुप्त साम्राज्य।
पुराण के 5 भाग है :
(१) सर्ग (२) प्रतिसर्ग (३) वंश
(४) मन्वन्तर (५) वंशानुचरित्र।
स्मृति साहित्य
(१) मनुस्मृति - प्राचीनतम /प्रथम। नियम = सामाजिक।
अनुवाद - अंग्रेजी में - A CORED OF GENTOO LAWS.
षठ दर्शन : छः दर्शन है।
- (1) सांख्य - कपिल
- (2) न्याय - गौतम
- (3) योग - पतंजलि
- (4) चावार्क - चावार्क
- (5) वैशेषिक - कणाद /उलुग कणाद -को परमाणु का जनक कहा जाता है।
- (6) मीमांसा - पूर्वी मीमांसा = जैमिनी
उत्तरी मीमांसा = वादरायण .
- वैदिक संस्कृति के निर्माता = आर्य
- आर्य का अर्थ = विद्वान /श्रेष्ठ /कुलीन/ संभात।
- आर्यो का मूल स्थान = सप्तसैंधव प्रदेश या देवकृत प्रदेश।
- वैदिक युग में नदियों के नाम = झेलम - वितस्ता , रावी - पुरुषेणी , व्यास - विपाशा , सतलज -शतुद्री ,क्रुम्भ - कुर्रम , काबुल - कुम्भा, गंडक - सदानीरा, नर्मदा - रेखा।
- वैदिक युग में नदियों के नाम - गंगा का एक बार , यमुना का तीन बार , सिंधु का 275 बार वर्णन है।
वैदिक संस्कृति का राजनीति परिपेक्ष्य
इकाइयों की संख्या = 4
- सभा - ग्राम के वयोवृद्ध / प्रधान / प्रमुख / विशिष्ठ
- समिति - सम्पूर्ण ग्राम की संस्था।
- विदथ - प्राचीनतम / जनसभा
- गण - गौण
वैदिक सहित्य में दिशा पर आधारित राजवंश = 5 व् राजा = 5 साम्राज्य (सम्राट)- पूर्व , स्वराज्य (स्वराट)-पश्चिम , वैराज्य (विराट)- उत्तर , भोज्य (भोराट)-दक्षिण।
वैदिक संस्कृति का धार्मिक परिपेक्ष्य
- सर्वश्रेष्ठ /सर्वप्रधान देवता = इन्द्र /250 बार। शक्ति /वर्षा /अतिवृष्टि (बाढ़) /अल्पवृस्टि(सूखा/दुर्भिक्ष) का देवता = इन्द्र
- अग्नि /200 बार वर्णन। उपनाम - देवताओ का पुरोहित , पथिकृत
- वरुण /30 बार , उपनाम - ऋतष्यगोपा अर्थ ऋत का संचालक /नियामक। ऋत - नैतिकता /शाश्वत सत्य का प्रतिक। वरुण को वर्षा का देवता भी कहते है।
वैदिक संस्कृति के दार्शनिक तत्व
वैदिक संस्कृति के तत्व = 5 है।
(1) ऋण (2) पुरुषार्थ (3) महायज्ञ (4) आश्रम (5) संस्कार
- (1) ऋण - 3
- (१) पितृ ऋण = पिण्ड दान द्वारा।
- (२) ऋषि ऋण = शिक्षा , दीक्षा द्वारा।
- (३) देव ऋण = नैतिकता द्वारा
-- (2) पुरुषार्थ - 4
- (१) धर्म
- (२) अर्थ
- (३) काम
- (४) मोक्ष - सर्वश्रेष्ठ।
-- (3) महायज्ञ - 5
- (१) पितृ महायज्ञ
- (२) ऋषि महायज्ञ
- (३) देव महायज्ञ
- (४) नर /मनुष्य
- (५) भूत /बलि
नोट-- पितृ,ऋषि ,देव ऋण है।
--- आश्रम - 4
- (१) ब्रह्मचार्य आश्रम - 0 -25 वर्ष ,
- (२) ग्रहस्थाश्रम - 25 - 50 वर्ष। सर्वश्रेष्ठ।
- (३) वानप्रष्थ आश्रम - 50 - 75 वर्ष।
- (४) संन्यास आश्रम - 75 -100 वर्ष।
नोट - ब्रह्मचर्य ,गृहस्थ व् वानप्रस्थ आश्रमों का उल्लेख छान्दोग्य उपनिषद में है।
-- चारो आश्रमों का उल्लेख जाबालोपनिषद में है।
--- संस्कार - 16
-- उल्लेख - गृहसूत्र में
- (१) गर्भाधान
- (२) पुंसावन
- (३) सीमान्तोनयन
- (४) जातकर्म
- (५) नामकर्म
- (६) निष्क्रमण
- (७) अन्नप्रासन
- (८) चूड़ाक्रमण
- (९) कर्ण वेदन
- (१०) विद्यारम्भ
- (११) उपनयन
- (१२) वेदारंभ
- (१३) गोदान
- (१४) समावर्तन
- (१५) विवाह
- (१६) अन्तेयष्टि
नोट - जन्म से पूर्व तीन संस्कार (गर्भाधान ,पुंसवन ,सीमान्तोनयन ) होते है।
विवाह
--- विवाह के प्रकार -- 8
-- (1) ब्रह्म विवाह - श्रेष्ठ विवाह - सुयोग्य वर - वधु का विवाह।
-- (२) देव विवाह
-- (3) प्रजापत्य विवाह - यज्ञ करने वाले पुरोहित को कन्या दान देना।
-- (4) आर्ष विवाह
नोट - यह चारो विवाह प्रतिष्ठित विवाह की श्रेणी में आते है।
-- (5) गंधर्व विवाह - प्रेम विवाह
-- (6) असुर विवाह - वर पक्ष द्वारा वधु का मूल्य चुकाकर विवाह करना।
-- (7) राक्षस विवाह - वर द्वारा अपहरण क्र किया गया विवाह।
-- (8) पैशाच विवाह -वर द्वारा धोखे से किया गया विवाह। ( निकृश्टतम विवाह )
नोट - यह चारो विवाह गैर प्रतिष्ठित विवाह की श्रेणी में आते है।
--- विवाह के प्रकार - (१) मान्य विवाह - अनुलोम विवाह - उच्च वर्ग पुरुष + निम्न वर्ग की महिला।
(२) अमान्य विवाह - प्रतिलोम विवाह - उच्च वर्ग की महिला + निम्न वर्ग का पुरुष
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