Jain Dharm ( जैन धर्म ) - Dhara Job GK

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Monday, August 12, 2019

Jain Dharm ( जैन धर्म )

JAIN DHARM  जैन धर्म )

इस पोस्ट में  आपको जैन धर्म से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी मिलेंगे जो आपके सरकारी job Exam में काम आती है | इसमें आपको  IS, State Government Jobs, Center Government Jobs & IAS , IPS , LDC, Constable GD, Force And और भी  ज्यादा Exam में काम आने वाले GK के Question मिल जायेंगे | 

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  • प्रचार प्रसार का श्रेय - तीर्थकरों को जाता हे। 
  • तीर्थकर का अर्थ - वो जो भवसागर से पार लगा दे। 
  • कुल तीर्थकर - 24 
  • प्रथम तीर्थकर (संस्थापक ) - ऋषभदेव / आदिनाथ 
  • 24  वे तीर्थकर / वास्तविक संस्थापक -- महावीर / वर्द्धमान 

23 वे तीर्थकर -- पार्श्वनाथ , इनके सिद्धांत - 4 थे। 

            (1)    सत्य 
            (2)   अहिंसा 
            (3)   अस्तेय -  चोरी न करना 
            (4)   अपरिग्रह - आवश्यकता से अधिक धनार्जन न करना। 

महावीर स्वामी के बारे सम्पूर्ण जानकारी Step By Step :

  • महावीर स्वामी  ने पंचमहाव्रत दिये। इन्होने पाँचवा महाव्रत  ब्रह्मचार्य को जोड़ा। 
  • महावीर स्वामी का  जन्म - कुण्डलग्राम , वैशाली (उत्तरप्रदेश)
  • कब  - 540 /599 ई.पू.
  • बाल्यावस्था /बचपन /प्रारंभिक नाम --  वर्द्धमान अर्थ  - प्रज्ञा (बुद्धि)
  • पिता  -  सिद्धार्थ  उपनाम  श्रेय , यासम्म। 
  • माता  - त्रिशला , राजकुमारी - वैशाली 
  • विवाह - यशोदा 
  • पुत्री -  प्रियदर्शना साहित्य में - अणोज्या  
  • गृहत्याग  -  30 वर्ष की आयु में ( 510 ई.पू.)
  • ज्ञानप्राप्ति की अवस्था - कैवल्य। 
  • ग्राम - जुम्भियग्राम 
  • नदी -  ऋजूपालिका /उज्जवासिय
  • वृक्ष -   शाल 
  • मृत्यु ( महापरिनिर्वाण ) -  पावा /पावापुरी 

जैन संगति -  2 

1. स्थान - पाटलिपुत्र ,पटना , बिहार 
  • राजा -  चन्द्रगुप्त मौर्य 
  • वंश  -    मौर्य 
  • अध्यक्ष -  संभूति विजय 
  • विशेष  - विभाजन  श्वेताम्बर , दिगम्बर 
  • श्वेताम्बर के प्रवर्तक /नेता - स्थूलभद्र 
  • दिगम्बर के प्रवर्तक /नेता -  भद्रबाहु 

2. स्थान - वल्लभी ,गुजरात 
  • राजा -- अज्ञात 
  • वंश  -   गुप्त 
  • अध्यक्षता -  देवर्धिश्रमाश्रमण 
  • विशेष -  साहित्य की रचना। 
  • जैन साहित्य की भाषा -  अर्द्ध मागधी ,प्राकृत 

जैन साहित्य के बारे में दो सबसे महत्वपूर्ण Question जो लग भाग हर Exam में पूछा जाना संभव है |  

  1. जैन साहित्य को पूर्व में (पहले ) - पूर्व कहते थे जो 14 थे। 
  2. जैन साहित्य को पश्चात में  -  आगम कहते थे जो संख्या में 12 है।  

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