JAIN DHARM ( जैन धर्म )
इस पोस्ट में आपको जैन धर्म से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी मिलेंगे जो आपके सरकारी job Exam में काम आती है | इसमें आपको IS, State Government Jobs, Center Government Jobs & IAS , IPS , LDC, Constable GD, Force And और भी ज्यादा Exam में काम आने वाले GK के Question मिल जायेंगे |
DharajobGK
- प्रचार प्रसार का श्रेय - तीर्थकरों को जाता हे।
- तीर्थकर का अर्थ - वो जो भवसागर से पार लगा दे।
- कुल तीर्थकर - 24
- प्रथम तीर्थकर (संस्थापक ) - ऋषभदेव / आदिनाथ
- 24 वे तीर्थकर / वास्तविक संस्थापक -- महावीर / वर्द्धमान
23 वे तीर्थकर -- पार्श्वनाथ , इनके सिद्धांत - 4 थे।
(1) सत्य
(2) अहिंसा
(3) अस्तेय - चोरी न करना
(4) अपरिग्रह - आवश्यकता से अधिक धनार्जन न करना।
2. स्थान - वल्लभी ,गुजरात
जैन साहित्य के बारे में दो सबसे महत्वपूर्ण Question जो लग भाग हर Exam में पूछा जाना संभव है |
(2) अहिंसा
(3) अस्तेय - चोरी न करना
(4) अपरिग्रह - आवश्यकता से अधिक धनार्जन न करना।
महावीर स्वामी के बारे सम्पूर्ण जानकारी Step By Step :
- महावीर स्वामी ने पंचमहाव्रत दिये। इन्होने पाँचवा महाव्रत ब्रह्मचार्य को जोड़ा।
- महावीर स्वामी का जन्म - कुण्डलग्राम , वैशाली (उत्तरप्रदेश)
- कब - 540 /599 ई.पू.
- बाल्यावस्था /बचपन /प्रारंभिक नाम -- वर्द्धमान अर्थ - प्रज्ञा (बुद्धि)
- पिता - सिद्धार्थ उपनाम श्रेय , यासम्म।
- माता - त्रिशला , राजकुमारी - वैशाली
- विवाह - यशोदा
- पुत्री - प्रियदर्शना साहित्य में - अणोज्या
- गृहत्याग - 30 वर्ष की आयु में ( 510 ई.पू.)
- ज्ञानप्राप्ति की अवस्था - कैवल्य।
- ग्राम - जुम्भियग्राम
- नदी - ऋजूपालिका /उज्जवासिय
- वृक्ष - शाल
- मृत्यु ( महापरिनिर्वाण ) - पावा /पावापुरी
जैन संगति - 2
1. स्थान - पाटलिपुत्र ,पटना , बिहार- राजा - चन्द्रगुप्त मौर्य
- वंश - मौर्य
- अध्यक्ष - संभूति विजय
- विशेष - विभाजन श्वेताम्बर , दिगम्बर
- श्वेताम्बर के प्रवर्तक /नेता - स्थूलभद्र
- दिगम्बर के प्रवर्तक /नेता - भद्रबाहु
2. स्थान - वल्लभी ,गुजरात
- राजा -- अज्ञात
- वंश - गुप्त
- अध्यक्षता - देवर्धिश्रमाश्रमण
- विशेष - साहित्य की रचना।
- जैन साहित्य की भाषा - अर्द्ध मागधी ,प्राकृत
जैन साहित्य के बारे में दो सबसे महत्वपूर्ण Question जो लग भाग हर Exam में पूछा जाना संभव है |
- जैन साहित्य को पूर्व में (पहले ) - पूर्व कहते थे जो 14 थे।
- जैन साहित्य को पश्चात में - आगम कहते थे जो संख्या में 12 है।
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